लपविला लाल गगन-मणि, परि दिन अशुभ होत नच,
दृष्टि न विफला, मगध-समरपति नव रवि उगवला ॥
योग्यचि वर मम, सुखविल बाला,
शुभ दिन अजि सुता, वरिल बघ शिशुपाला ॥
गीत – कृ. प्र. खाडिलकर
संगीत – भास्करबुवा बखले
स्वर- कल्याणी देशमूख
नाटक – संगीत स्वयंवर
राग – तिलंग
ताल-त्रिवट
चाल-मोहेलीना नेक नजर यानी
गीत प्रकार – नाट्यसंगीत