सखे ग कृष्णमूर्त गोजिरी ही ठसल

सखे ग कृष्णमूर्त गोजिरी
ही ठसली मम अंतरी

धरी वदनी मधु बासरी
मधुर काढी सूर श्रीहरी
बावरे सृष्टि सुंदरी

कर्णात कनक कुंडले
कंठी वैजयंती ही रुळे
माणिक मुकुट शिरावरी
शोभतो हा कितीतरी
झळकते प्रभा ही बिल्वरी

गीत – दत्ता डावजेकर

संगीत – दत्ता डावजेकर

स्वर- लता राव

गीत प्रकार – हे श्यामसुंदर, भावगीत