वरि गरिबा वीरा जी अबला, सुख संसारीं तें केंवि तिला ॥
राघव तोडित धनु ऋषिवेषें, मग जाई वना सीताबाला ॥
अधन धनंजय मीनवधा करी, वनीं वास मग पांचालीला ॥
गीत – कृ. प्र. खाडिलकर
संगीत – गोविंदराव टेंबे
स्वर- बालगंधर्व
नाटक – संगीत मानापमान
राग – झिंझोटी
ताल-केरवा
चाल-मेरी गलि आ जाव
गीत प्रकार – नाट्यसंगीत