अजि पुरवा ही हौस प्रियकरा

अजि पुरवा ही हौस प्रियकरा, मातृपदीं तनु मम बसवा ॥

स्त्री जगाला स्त्रीच विधाता, होत नाहीं जरि माता,
विश्व सुखीं विष कालवा ॥

गीत – कृ. प्र. खाडिलकर

संगीत – मास्टर कृष्णराव

स्वर- बालगंधर्व

नाटक – संगीत मेनका

ताल-त्रिताल

चाल-छिन छिनया

गीत प्रकार – नाट्यसंगीत