दहन खर हृदया । महाघोर रणरणक कर

दहन खर हृदया । महाघोर रणरणक करित कृष्णासि ।
बहु आकुल भावना सभय ॥

आधार विश्वासि । मंगल साधनासि ।
विकृत होतां तया । आगत हा महाप्रलय ॥

गीत – वि. सी. गुर्जर

संगीत – मास्टर कृष्णराव

स्वर- बालगंधर्व

नाटक – संगीत नंद-कुमार

राग – तिलककामोद

ताल-झपताल

चाल-सकल दुखहरन

गीत प्रकार – नाट्यसंगीत